यहां थाने इसलिए खड़े किए गए हैं ताकि सरकारी दारोगा किसी अबला की इज्जत पर हाथ डाल सके
इस तार-तार इज्जत की सिलाई कहीं नहीं होती
यहां दारोगा से ऊपर सरकार है
पर बिरादरी से ऊपर वह भी नहीं।
अबला की इज्जत नहीं
यहां बिरादरी तय करती है
दारोगा की सजा।
यह सरकार घड़ती है दारोगा के क्लोन
बनाती है एक के बाद एक थाने उनमें तैनात होते हैं
एक के बाद एक दारोगा
कोई जयसिंह है
कोई बलराज सिंह
और कोई सीलक राम।
हां साहब।
यो से देसा में देस हरियाणा
जित दूध-दही का खाणा।
कभी यह कहने वाले
अब माथे पर हाथ रख सिर्फ इतना ही कह पाते हैं
यो किसा देसा में देस हरियाणा
जित थाणें बने बलात्कार का ठिकाना।
मैं पूछता हूं
ये कौन हैं जो मेरे हरियाणा की तसवीर बिगाड़ रहे हैं
पर हुड्डा साहब मौन हैं।
- सुधीर राघव
Thursday, June 26, 2008
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